Sunday, February 1, 2009

तुम्हारे जाने का डर

तुम गए, दरवाज़ा क्यूँ खुला छोड़ दिया तुमने
मुझे जाने दिया होता ,दरवाज़ा बंद किया होता ।
मुझे चोरी का डर तो नही होता ,
मुझे डर तो नही होता,
मुझे डर है इसका नही की मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास है ।
पर डर है की तुम जो वापस प् आए तो मैं कहाँ रहूँगा ।
तुम्हे छोड़ आया हूँ तो लगता है की रोक लेना था
की तुम्हारे घर का दरवाज़ा मुझसे नही लगता

3 comments:

  1. bahut sundar...

    yahaan bhi tashreef layein
    http://merastitva.blogspot.com

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  2. बहुत सुन्दर लिखा आपने, बधाई.
    कभी मेरे ब्लॉग शब्द-शिखर पर भी आयें !!

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  3. तुम्हे छोड़ आया हूँ तो लगता है की रोक लेना था
    की तुम्हारे घर का दरवाज़ा मुझसे नही लगता
    ....Bahut Khoob !! Keep it up.

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आपके उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद्