Tuesday, January 27, 2009

मेरा नाविक मेरा साथ

सागर में मेरा कुछ हो ये मेरा था अरमान बड़ा ,
लेकर नैया मैं भी घर से करने गंगा पार चला ,
माझी ने कह दिया था मुझसे मोती तुम्हे दिलाऊंगा ,
कहाँ घुमते रहे किनारे सागर तुम्हे दिखाऊंगा ।
लहरों से झूलोगे तुम बस मेरे ऊपर रखना दम ,
डरो नही तुम चलते जाओ जहाँ कहो ले जाऊंगा
चला गया मैं भी मुरख था ,पता नही मुझे क्या हुआ ,
सुधबुध खोई जाल मैं उसके मैं तो बस चलता गया ,
सोचा मैंने कहूँ कहानी किसी अच्छे से सागर की
पर मेरा नाविक तो मुझको बिच नाव मैं छोड़ कर चला गया ।

2 comments:

  1. खूबसूरत गद्य, अद्भुत वाक्यरचना...ब्लॉगिंग में सक्रियता यूं ही बनाए रखें। कभी हमारे चौराहे--www.chauraha1.blogspot.com पर भी आएं.

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  2. आपका लेख पढ़कर हम और अन्य ब्लॉगर्स बार-बार तारीफ़ करना चाहेंगे पर ये वर्ड वेरिफिकेशन (Word Verification) बीच में दीवार बन जाता है.
    आप यदि इसे कृपा करके हटा दें, तो हमारे लिए आपकी तारीफ़ करना आसान हो जायेगा.
    इसके लिए आप अपने ब्लॉग के डैशबोर्ड (dashboard) में जाएँ, फ़िर settings, फ़िर comments, फ़िर { Show word verification for comments? } नीचे से तीसरा प्रश्न है ,
    उसमें 'yes' पर tick है, उसे आप 'no' कर दें और नीचे का लाल बटन 'save settings' क्लिक कर दें. बस काम हो गया.
    आप भी न, एकदम्मे स्मार्ट हो.
    और भी खेल-तमाशे सीखें सिर्फ़ "टेक टब" (Tek Tub) पर.
    यदि फ़िर भी कोई समस्या हो तो यह लेख देखें -


    वर्ड वेरिफिकेशन क्या है और कैसे हटायें ?

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आपके उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद्