Tuesday, April 28, 2009

मेरी जिंदगी

काश के मुझे तुमसे प्रेम ना हुआ होता,
तुम जानती हो मेरे कितने काम बढ़ गए हैं,
मुझे रोज़ तुम्हारे बारे में सोचना होता है , तुमसे बात करने होती है।
तुम हो, चाहे ना हो,
मै तुम्हे कब से देखना चाहता हूँ,
बल्कि रोज़ देखना चाहता हूँ,
पर एक तुम हो
तुम अपने घर पर एक जायज़ बहाना नहीं कर सकतीं,
मुझसे बात नहीं कर सकतीं.
तुम्हारे साथ जिंदगी,
खूबसूरत है,
खूबसूरत होगी,
मैंने ऐसा ही सोचा है,
रोज़ सोचता हूँ।

2 comments:

  1. wonderful creation. Never in my life I have read the loving thoughts so honestly.

    Best wishes,

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  2. आपको लफ़्ज़ों में विरह है...
    न मिल पाने की वेदना है...
    प्रेयसी की अधूरी कोशिश की शिकायत भी...
    और स्वयं प्रेम को छोड़ न पाने की मजबूरी भी....
    खूब लिखा है....

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आपके उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद्